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ललित आदित्य

नई पीढ़ी के पुराविदों में अपनी अलग पहचान बना चुके ललित आदित्य का जन्म 25 फरवरी को बोकारो में हुआ था। उन्होंने 2014 में राँची विश्वविद्यालय, राँची से पुरातत्त्वविज्ञान एवं संग्रहालय-विज्ञान में स्नातकोत्तर किया। बाद में राँची विश्वविद्यालय के पुरातत्त्वविज्ञान एवं संग्रहालय-विज्ञान स्कूल में ही अतिथि व्याख्याता के रूप में कार्य किया। 2022 में भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण द्वारा आयोजित ‘युवा पुराविद’ की परीक्षा में पूरे देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया। उन्होंने देश के विभिन्न पुरास्थलों के उत्खनन में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है। करीब एक दशक से झारखंड के पुरातत्त्व सम्बन्धी शोध-अनुसन्धान और लेखन में सक्रिय हैं। इस क्रम में उन्होंने राज्य के विभिन्न इलाकों में अलग-अलग काल के कई पुरातात्त्विक स्थलों की खोज की, विशेष रूप से बौद्ध पुरास्थलों का विस्तृत संलेखन किया। भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण के साथ जुड़ाव के दौरान झारखंड के महापाषाणिक स्थल ओबरा (चतरा) के उत्खनन प्रमुख रहे। उनके शोधपत्र देश के कई प्रतिष्ठित जर्नल में प्रकाशित हो चुके हैं। फ़िलहाल वे झारखंड की महापाषाणिक संस्कृति पर शोध करने के अलावा दक्कन कॉलेज, पुणे से पुरातत्त्व में पी-एच.डी. कर रहे हैं और संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के अन्तर्गत इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ हेरिटेज, नोएडा (पूर्व में नेशनल म्यूज़ियम इंस्टिट्यूट) में पुरातत्त्व के सहायक प्राध्यापक के रूप में कार्यरत हैं।

देशज बुद्ध

ललित आदित्य

मूल्य: $ 13.95

"भारत की प्राचीन धरोहर में आदिवासी संस्कृति और बौद्ध धर्म के अज्ञात संगम का अनावरण।"

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